शेख हसीना ने गद्दी छोड़ी, फिर क्यों दोबारा सड़कों पर बांग्लादेश के छात्र? इस बार कौन है टारगेट

शेख हसीना (Sheikh Hasina) के गद्दी छोड़ने और अंतरिम सरकार बनने के बावजूद बांग्लादेश में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. 25 अगस्त को ढाका में एक बार फिर हिंसा भड़क उठी. जिसमें कई लोगों के घायल होने की खबर है. ढाका ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक 25 अगस्त को छात्रों के एक ग्रुप और पैरामिलिट्री फोर्स अंसार ग्रुप के बीच राजधानी में सेक्रेटेरिएट बिल्डिंग के करीब झड़प हुई, जिसमें 50 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए.आखिर शेख हसीना के PM की कुर्सी से हटने, देश छोड़ने और अंतरिम सरकार बनने के करीब तीन हफ्ते बाद भी बांग्लादेश में शांति बहाल क्यों नहीं हो पाई? छात्र दोबारा क्यों सड़कों पर हैं? समझते हैं…

 

25 अगस्त की रात क्या हुआ?

25 अगस्त की रात करीब 9 बजे ढाका यूनिवर्सिटी (Dhaka University) के अलग-अलग डिपार्टमेंट्स के हजारों छात्र स्टूडेंट-टीचर सेंटर के करीब इकट्ठा हो गए. इन छात्रों को खबर मिली थी कि अंसार ग्रुप ने कुछ लोगों को हिरासत में ले रखा है. जिसमें अंतरिम सरकार के सलाहकार नाहिद इस्लाम, क्वार्डिनेटर सरजिस आलम और हसनत अब्दुल्ला शामिल हैं. ये छात्र, अंसार ग्रुप के सैनिकों को गद्दार करार देते हुए सेक्रेटेरिएट की तरफ बढ़नेइससे पहले, हसनत अब्दुल्ला ने एक फेसबुक पोस्ट में सचिवालय की नाकाबंदी के लिए शेख हसीना सरकार में जल संसाधन के उप मंत्री रहे एकेएम इनामुल हक शमीम के बड़े भाई और अंसार के पूर्व महानिदेशक मेजर जनरल एकेएम अमीनुल हक को जिम्मेदार ठहराया था. अब्दुल्ला ने अपनी पोस्ट में दावा किया था कि अंसार ग्रुप के मेंबर्स की सारी मांगे मान ली गई हैं, इसके बावजूद सचिवालय की नाकाबंदी कर रखी है. उन्होंने अपनी पोस्ट में छात्रों से ढाका यूनिवर्सिटी में राजू मेमोरियल स्कल्पचर के सामने इकट्ठा होने की अपील की थी.क्या है अंसार ग्रुप?

बंगलादेश अंसार और विलेज डिफेंस फोर्स (The Bangladesh Ansar and Village Defence Force,) को अंसार बहिनी या अंसार वीडीपी के नाम से भी जाना जाता है. यह बांग्लादेश में आंतरिक सुरक्षा और कानून का जिम्मा संभालती है. एक तरीके से इसकी भूमिका पुलिस जैसी है. अंसार एक अरबी शब्द है, जिसका शाब्दिक मतलब होता है “स्वयंसेवक” या “सहायक”.अंसार के मेंबर्स (Ansar Group, Bangladesh) पिछले कुछ दिनों से अपनी नौकरियों के राष्ट्रीयकरण के अलावा कई और मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक रविवार (25 अगस्त) को, उनकी गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल एमडी जहांगीर आलम (सेवानिवृत्त) के साथ बातचीत हुई. इसके बाद उन्होंने अपना प्रदर्शन स्थगित करने और काम पर लौटने का फैसला किया. इस बैठक में अंसार कर्मियों पर लगाए गए छह महीने के अनिवार्य रेस्ट रूल को फौरन खत्म करने का फैसला लिया गया और उनकी दूसरी मांगों पर विचार के लिए एक समिति का गठन किया गया है, जिसे सात दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है.

 

फिर क्यों हुई खूनी भिड़ंत?

अंतरिम सरकार के सलाहकार नाहिद इस्लाम, क्वार्डिनेटर सरजिस आलम और हसनत अब्दुल्ला जैसे छात्र नेताओं का दावा है कि सरकार के आश्वासन के बावजूद अंसार मेंबर्स ने सचिवालय की नाकाबंदी खत्म नहीं की. यही नहीं, नाहिद इस्लाम ने दावा किया कि अंसार मेंबर्स एक साजिश का हिस्सा हैं और देश को अस्थिर करने की कोशिश में लगे हैं. इसके बाद उनकी छात्रों से भिडंत हो गई.हाथ में लाठी-डंडा और हथियार लेकर पहुंचे छात्रों को देखने के बाद पहले अंसार मेंबर्स पीछे हट गए, लेकिन बाद में दोनों तरफ से हिंसा शुरू हो गई. एक दूसरे पर पत्थर बरसाने लगे और अंसार बलों ने छात्रों को खदेड़ना शुरू कर दिया. हिंसा बढ़ने के बाद फौरन आर्मी भेजनी पड़ी. कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा है कि आर्मी को हालात संभालने के लिए ग्रेनेड तक का सहारा लेना पड़ा.

 

अंतरिम सरकार के चीफ ने क्या कहा?

ढाका में दोबारा हिंसा भड़कने के बाद अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस को सामने आना पड़ा. उन्होंने एक टेलीविजन स्पीच में शांति की अपील की और लोगों से कानून अपने हाथ में न लेने को कहा. इसके साथ ही एक बार फिर बांग्लादेश में निष्पक्ष चुनाव का वादा दोहराया.

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