New Criminal Laws: एमपी में कैसे होगी महिला-बाल अपराधों की जांच, इतना कम है स्टाफ, नए कानून की हैं ये शर्तें

भोपाल. मध्य प्रदेश में नए कानून लागू तो हो गए, लेकिन उसके बाद बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. सवाल यह है कि क्या प्रदेश पुलिस प्रशासन के पास इतना स्टाफ है कि इन कानूनों का पालन करा सके. खासकर, महिला और बाल अपराध के मामलों में कानून को कैसे अमल में लाया जाएगा और किस रणनीति के तहत पुलिस काम करेगी? नए कानून के मुताबिक, महिलाओं और बच्चों के मामलों की जांच महिला इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर ही कर सकती हैं. लेकिन, इन महिला अफसरों की संख्या प्रदेश में बहुत कम है.

जानकारी के मुताबिक, प्रदेश में 281 महिला इंस्पेक्टर और 837 महिला सब इंस्पेक्टर हैं. जबकि, कानून पर अमल करने के लिए 2 हजार से ज्यादा सब इंस्पेक्टर की जरूरत है. प्रदेश के 1173 थानों में इन अफसरों की कमी है. इस हिसाब से प्रदेश में 900 से ज्यादा महिला सब इंस्पेक्टर को भर्ती करना होगा. प्रदेश में महिला सब इंस्पेक्टर के खाली पदों की दर 47 फीसदी है.

महिला अफसर फील्ड पोस्टिंग से दूर
दूसरी ओर, प्रदेश में साल 2007 के बाद सब इंस्पेक्टर की भर्तियां नहीं हुई हैं. इसकी वजह से इंस्पेक्टर के भी प्रमोशन लटके हुए हैं. पुलिस प्रशासन ने महिला अफसरों को फील्ड की पोस्टिंग से दूर रखा है. इन्हें पुलिस मुख्यालय सहित अन्य थानों में ऑफिस के काम के लिए पदस्थ किया गया है. प्रदेश में एक इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर पर साल में 60 केसों को हल करने की जिम्मेदारी है. ऐसे में सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर नए कानूनों का पालन कराएंगे भी तो कैसे कराएंगे.निंग के लिए मास्टर ट्रेनर तैयार
भोपाल से प्रकाशित अखबार दैनिक भास्कर के मुताबिक, अगर सरकार नए कानूनों पर अमल कराना चाहती है तो हर थाने में तीन महिला सब इंस्पेक्टर और 4 महिला कॉन्सटेबल की जरूरत है. इस मामले में पुलिस अधिकारियों का कहना है कि नए कानूनों की जानकारी और जांच की बारीकिया समझने के लिए मास्टर ट्रेनर तैयार किए गए हैं. पुलिस प्रशासन 30 हजार पुलिसकर्मियों को एक महीने में ट्रेनिंग देने का लक्ष्य लेकर चल रहा है.

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