चूहा-छछुंदर के काटने से भी हो सकता है रेबीज? लगवानी चाहिए वैक्सीन? हेल्‍थ मिनिस्‍ट्री की गाइडलाइंस क्‍या कहती हैं, जानें

Rat bite vaccine: अभी तक आपने सुना होगा कि कुत्‍ता, बिल्‍ली या बंदर के काटने से रेबीज होने का खतरा होता है. इसलिए जब भी इनमें से कोई जानवर काट ले तो तुरंत उस घाव को साबुन-पानी से धोकर रेबीज की वैक्‍सीन लगवाने जाना चाहिए. साथ ही कुत्‍ते या बिल्‍ली की कम से कम 10 दिन तक निगरानी भी करनी चाहिए, कहीं वह पागल तो नहीं हो गया, या रेबीज से मर तो नहीं गया. लेकिन क्‍या आपको मालूम है कि घरों में अक्‍सर दौड़ लगाने वाले चूहे और छछूंदर भी आपको या आपके बच्‍चों को काट सकते हैं. कुत्‍ते-बिल्‍ली ही नहीं इन छोटे जानवरों का काटना भी खतरनाक होता है. क्‍या इनसे भी रेबीज या कोई अन्‍य खतरनाक रोग फैल सकता है, जिससे पीड़ित की मौत तक हो सकती है? आइए जानते हैं.

भारत सरकार के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के अधीन नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की रेबीज की रोकथाम और बचाव के लिए गाइडलाइंस कहती हैं कि कुत्‍ता-बिल्‍ली बंदर आदि जानवरों के के काटने से रेबीज रोग हो सकता है, इसलिए रेबीज की वैक्‍सीन लगवानी होती है, लेकिन घरों में भी कुछ ऐसे छोटे जानवर होते हैं जो काट लें तो खतरा पैदा हो सकता है.

क्‍या कहती हैं गाइडलाइंस
एनसीडीसी की गाइडलाइंस कहती हैं कि सामान्‍य तौर पर घर में घूमने वाले चूहों के काटने से रेबीज का ट्रांसमिशन नहीं होता है. इसलिए, माना जाता है कि अगर चूहा दांत मार जाए तो रेबीज वैक्‍सीन की जरूरत नहीं पड़ती है. लेकिन जिस जगह चूहे ने काटा है, उस घाव को तत्‍काल बहते पानी और साबुन से धोने की जरूरत होती है. साथ ही यह भी देखना चाहिए कि घाव कितना बड़ा है.

घाव को धोने के अलावा किसी फिजिशियन से भी जरूर सलाह लेनी चाहिए. अगर डॉक्‍टर घाव देखकर कहता है कि एंटी टिटनेस का इंजेक्‍शन लेना है तो वह तुरंत लगवाना चाहिए.

लांकि कई बार मरीज किसी जानवर के काटने की हिस्‍ट्री बताता है वह सही नहीं मालूम पड़ती क्‍योंकि वह या तो कन्‍फ्यूज रहता है, या उसे ठीक से जानवर के बारे में पता नहीं होता है, ऐसी स्थिति में संभव है कि वह जिसे चूहा समझ रहा है, वह छछुंदर, नेवला या मोल हो. इसलिए बचाव के लिए जरूरी है कि मरीज को रेबीज का वैक्‍सीनेशन कराने जाना चाहिए.

जंगली जानवर के काटने पर रेबीज वैक्‍सीन जरूरी
इसके अलावा अगर आप जंगल में हैं और वहां आपको नेवला, खरगोश, चूहा, छछुंदर या कोई भी रोडेंट काट ले तो पोस्‍ट एक्‍सपोजर प्रोफिलेक्सिस यानि रेबीज के टीके लगवाना जरूरी है.

बहुत खतरनाक होता है रेबीज
एनसीडीसी के मुताबिक रेबीज की रोकथाम संभव है लेकिन अगर रेबीज रोग एक बार हो जाए तो इसे ठीक नहीं किया जा सकता है. यह 100 फीसदी फैटल है. इसके होने के बाद पीड़‍ित व्‍यक्ति की जान चली जाती है. वहीं एक और बात है कि जिस जानवर ने काटा है, वह रेबिड है या नहीं, इसका भी पता नहीं चल पाता है, इसलिए रेबीज वैक्‍सीनेशन जरूरी हो जाता है.

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