जहां सुशील ने सीखे थे दांव पेच… उसी अखाड़े के अमन ने पेरिस में बढ़ाया देश का मान, नाम जुड़ा यह खास रिकॉर्ड

 

जहां सुशील ने सीखे थे दांव पेच… उसी अखाड़े के अमन ने पेरिस में बढ़ाया देश का मान, नाम जुड़ा यह खास रिकॉर्

Aman Won Bronze Medal: अमन सहरावत ने पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत को एक और मेडल दिलाया. पहलवान अमन ने 57 किलो भाग वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीता. भारत के अब पेरिस ओलंपिक में छह पदक हो गए हैं. अमन ने इसके साथ ही छत्रसाल स्टेडियम की ओलंपिक पदक जीतने की परंपरा को भी जारी रखा. वह छत्रसाल के लिए छठा ओलंपिक पदक लेकर आए

Aman Won Bronze Medal: अमन सहरावत ने गुरुवार को कुश्ती में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर यह सुनिश्चित किया कि पहलवान पेरिस से खाली हाथ नहीं लौटेंगे. अमन ने 57 किलो भार वर्ग के प्लेऑफ मुकाबले में प्यूर्टो रिको के डेरियन क्रूज को हराकर भारत के खाते में छठा मेडल डाला. पेरिस ओलंपिक में भारत का कुश्ती में यह पहला मेडल है. विनेश फोगाट के डिक्वालिफाई होने के बाद एकबारगी सबको यह लगने लगा था कि क्या कुश्ती में भारत का खाता नहीं खुलेगा? लेकिन 21 साल के अमन ने 2008 बीजिंग ओलंपिक से लगातार कुश्ती में मेडल दिलाने की परंपरा को बरकरार रखा.छत्रसाल का छठा ओलंपिक मेडल

अमन ने भी दिल्ली के मशहूर छत्रसाल स्टेडियम में कुश्ती के गुर सीखे हैं, जहां कभी दिग्गज पहलवान सुशील कुमार दांव-पेच आजमाते थे. सुशील कुमार भारत के सबसे सफल पहलवान हैं. उन्होंने लगातार दो ओलंपिक में भारत को दो मेडल दिलाए हैं. सुशील ने 2008 बीजिंग ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता था तो 2012 लंदन ओलंपिक में वह फाइनल तक पहुंचने में सफल रहे. वह गोल्ड तो नहीं जीत सके, लेकिन अपने पदक का रंग (सिल्वर) बदलने में कामयाब रहे. छत्रसाल स्टेडियम से निकले पहलवानों ने देश को छह ओलंपिक मेडल दिलाए हैं. सुशील कुमार और अमन सहरावत के अलावा योगेश्वर दत्त, रवि दहिया और बजरंग पुनिया भी छत्रसाल स्टेडियम की ही देन हैं.

 

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11 साल की उम्र में सीखने लगे थे दांव-पेच

हरियाणा के झज्जर के बिरोहर गांव के अमन सहरावत जब केवल 11 साल के थे तभी छत्रसाल स्टेडियम में ट्रेनी बनकर आए थे. अमन सहरावत जब छोटे थे तभी उन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया था. अमन का पालन-पोषण उनके दादा जी ने किया. उनकी कुश्ती में दिलचस्पी को देखते हुए दादा जी ने उन्हें छत्रसाल स्टेडियम भेज दिया था. अमन को कुश्ती को करियर बनाने की प्रेरणा भी सुशील कुमार से मिली थी. छत्रसाल स्टेडियम में अमन को अपने आदर्श से कुश्ती के शुरुआती दांव-पेच सीखने का भी मौका मिला.जल्द ही दिखने लगी थी प्रतिभा

अमन ने नूर सुल्तान में 2019 एशियाई कैडेट चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर पहली बार अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. तीन साल बाद 2022 में अमन ने अंडर-23 विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता. वह यह उपलब्धि हासिल करने वाले पहले भारतीय पहलवान बने. साल 2023 में भी अमन शानदार प्रदर्शन करने में पीछे नहीं रहे. अस्ताना में एशियाई चैंपियनशिप में उन्होंने गोल्ड मेडल अपने नाम किया. उसी साल हांग्जो एशियाई खेलों में उन्होंने देश को ब्रॉन्ज मेडल दिलाया.

 

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पेरिस ओलंपिक के लिए कोटा हासिल करने वाले वह भारत के एकमात्र पहलवान थे. यह कोटा उन्होंने विश्व ओलंपिक क्वालीफायर के जरिये हासिल किया था. इसीलिए पुरुषों की 57 किलो इवेंट में उन्हें टोक्यो ओलंपिक के सिल्वर मेडल विजेता रवि दहिया पर तरजीह दी गई. उनकी वजह से ही भारत पुरुष कुश्ती में किसी पहलवान के न जाने की शर्मिंदगी से बच सका. अमन छत्रसाल स्टेडियम में सुबह साढे चार बजे से आठ बजे तक और शाम को पांच से साढे सात बजे तक ट्रेनिंग करते थे. यह जानना भी जरूरी है कि ओलंपिक जाने वाले भारतीय दल में वह सबसे कम उम्र के खिलाड़ी थे. खुद पर किए गए भरोसे पर अमन खरे उतरे और पेरिस से पदक लेकर ही लौटेंगेखुश हैं कोच और साथी पहलवान

अमन के ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद छत्रसाल स्टेडियम में खुशी का माहौल है. साथी पहलवानों और कोच ने मुकाबला लाइव देखा और उनकी जीत का जश्न मनाया. छत्रसाल के एक कोच ने कहा कि अमन की मेहनत और पदक जीतने की ललक उन्हें आगे बढ़ा रही है. वे इस बात से खुश हैं कि अमन ने अखाड़े की ओलंपिक पदक जीतने की परंपरा को आगे बढ़ाने का काम किया है. एक अन्य कोच ने कहा कि ओलंपिक में देश के लिए पदक जीतना अमन का सपना था.

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